लकी भास्कर: एक मामूली बैंक एंप्लॉई की अनोखी कहानी
लकी भास्कर फिल्म के मुख्य पात्र:
– अदित्य सील – भास्कर
– शोबिता धूलिपाला – सुमति
– परेश रावल – लक्ष्मण
फिल्म के निर्देशक और निर्माता:
– निर्देशक – हंसल मेहता
– निर्माता – भूषण कुमार और कृष्ण कुमार
लकी भास्कर फिल्म का ट्रेलर –
लकी भास्कर फिल्म की रिलीज़ तिथि:
31 ऑक्टोबर 2024
दोस्तों इस फिल्म की कहानी को भी पढ लो 👇😊
‘अमरन मूवी’ : समीक्षा और फिल्म की पुरी कहानी
दोस्तों, आज हम आपको एक कमाल की मूवी लकी भास्कर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो आपको जरूर पसंद आएगी। यह मूवी भास्कर नाम के एक मामूली बैंक एंप्लॉई पर आधारित है, जो आगे चलकर बहुत बड़ा आदमी बनता है और मजे की बात तो यह है कि उसने हर्षद मेहरा जैसे बड़े स्कैमर को भी चूना लगाया है!

लकी भास्कर 2024 फिल्म की पुरी कहाणी विस्तार मैं
मूवी की शुरुआत में हमें साल 1992 के बाँबे का सीन दिखाया जाता है, जहां भास्कर नाम का आदमी मॉर्निंग वॉक से घर लौट रहा होता हैं। तभी सीबीआई ऑफिसर लक्ष्मण और उसकी टीम भास्कर अरेस्ट कर लेती है। सुबह-सुबह पुलिस भास्कर को उसके बैंक, मगधा बैंक में लाती है, जहां वह काम करता था। लक्ष्मण बताता है कि उनके बैंक में पैसों का बहुत बड़ा घोटाला हुआ है और वे उसी की जांच करने आए हैं।
फिर भास्कर की वाइफ सुमति उसे कॉल करके बताती है कि कुछ सीबीआई ऑफिसर उनके घर की तलाशी ले रहे हैं। भास्कर कहता है कि तुम फिक्र मत करो, उन्हें अपना काम करने दो।
बैंक के अंदर का माहौल तनावपूर्ण था, ऑफिसर्स ने सारी फाइलें बिखेर रखी थीं और उनकी इन्वेस्टिगेशन जोरो शोरों पर थी। इसी बीच भास्कर अपनी कहानी सुनाना शुरू करता है, जो एक छोटे से एंप्लॉय से एक बड़े आदमी तक का सफर तय करता है।
भास्कर मगधा बैंक का एक छोटा सा एंप्लॉय था, जिसकी सैलरी महज ₹ 6000 थी। ऊपर से उसने ₹ 36000 का कर्जा भी ले रखा था। वह रोज अपने बजाज स्कूटर पर बैठकर टाइम से बैंक पहुंच जाता और सीनियर्स के दिए सारे कामों को बिल्कुल ईमानदारी से करता। उसकी उम्मीद थी कि किसी दिन उसका भी प्रमोशन होगा, जिससे उसका सारा कर्जा चुकता हो जाएगा।
उस जमाने में कंप्यूटर्स ज्यादा प्रचलित नहीं थे, इसलिए बैंक का सारा काम मैनुअली ही किया जाता था। लेजर्स स्टेटमेंट, अकाउंट्स, और अन्य कामों को एंप्लॉयज अपने हाथों से भरते थे। फिर कभी तीन महीने या छ महीनों में सारा डाटा कंप्यूटर में फीड किया जाता था।
भास्कर का एक जिगरी दोस्त सांबा था, जो उसका क्लासमेट भी था। लेकिन भास्कर पढ़ाई में अच्छा होने के कारण पढ़ लिखकर बैंक एंप्लॉय बन गया, जबकि सांबा क्लर्क का काम करता था। भास्कर थोड़ी बहुत साइड इनकम के लिए बैंक में आने वाले कस्टमर्स के एप्लीकेशन फॉर्म भी फिल किया करता था।
एक दिन, भास्कर के बैंक में एक अनोखा ग्राहक आता है – एंथनी। वह 2 लाख का लोन लेना चाहता है, लेकिन जब भास्कर उससे सिक्योरिटी के बारे में पूछता है, तो एंथनी कहता है कि उसके पास गिरवी रखने के लिए कुछ भी नहीं है। भास्कर उसे लोन देने से मना कर देता है, लेकिन यहीं से हमें भास्कर की जिंदगी की एक नई कहानी का पता चलता है।
भास्कर की जिंदगी में कई चुनौतियाँ हैं। उसने पूरे मोहल्ले से कर्जा ले रखा है, जिसके कारण वह हमेशा सभी से बचते बचते रहता है। उसके मां-बाप की स्थिति भी काफी खराब है। उसके पिताजी एक जमाने में सीए थे, लेकिन उनके दोस्त ने उनके साथ पैसों की हेरां फेरी की, जिसके कारण वे डिप्रेशन में चले गए। अब वे ना किसी से बात करते हैं और ना ही कोई काम करते हैं। बस चाय पीते हैं, न्यूज़पेपर पढ़ते हैं और चुपचाप अपनी कुर्सी पर बैठे रहते हैं।
भास्कर की मां उसके बचपन में ही चल बसी थी, जिसके कारण उसके छोटे भाई-बहन की जिम्मेदारी भी उसी पर आ गई थी। उसकी पत्नी सुमति ने अपने मां-बाप की मर्जी के खिलाफ जाकर उसे लव मैरिज की थी। सुमति के मां-बाप भास्कर की कम सैलरी के कारण उसे नीची नजरों से देखते थे। सुमति और भास्कर का एक छोटा बेटा भी था और सुमति का सपना था कि भास्कर बैंक से लोन ले ले ताकि वह अपना आचार का बिजनेस शुरू कर सके। लेकिन भास्कर उसे समझाता है कि पहले पुराना कर्जा चुकता हो जाए, फिर नया कर्जा लेने की सोचेंगे।
इन दिनों भास्कर के जीवन में एक अनोखा मोड़ आया, जब एंथनी आए दिन उनके पास लोन मांगने आने लगा। लेकिन एक दिन, एंथनी ने भास्कर को बताया कि मलेशिया से इंडिया एक बड़ी शिप आई है, जिसमें उन्होंने ढेर सारे टीवी मंगवाए हैं। आधे अमाउंट, यानी 2 लाख, उन्होंने पहले ही पे कर दी है, और बाकी की आधी रकम उन्होंने टीवी की डिलीवरी लेने के बाद पे करने का वादा किया है।
एंथनी ने भास्कर से रिक्वेस्ट की कि मुझे ₹2 लाख की जरूरत है, जिन लोगों ने मुझे पैसे देने का वादा किया था, वे सब अपनी बात से मुक गए। इंडिया में वैसे ही टीवी की डिमांड बढ़ती जा रही है, आप मुझे सिर्फ ₹2 लाख दे दीजिए, मैं टीवी बेच कर आपका लोन चुका दूंगा |
एंथनी की स्टोरी सुनने के बाद, सांबा भास्कर से कहता है कि तेरा साला तो रियल स्टेट लाइन में है, उससे बात करके देख हो सकता है कि वह पैसों की कुछ मदद कर हालांकि भास्कर को अपने साले से मदद लेना बिल्कुल भी पसंद नहीं था, लेकिन वह सोचता है कि शायद यह एक अच्छा मौका हो सकता है।
भास्कर ने सोचा और फिर कहा, “ठीक है, मैं ट्राई करता हूं।” लेकिन तभी एक अनोखा मोड़ आया, जब एक पटेल नाम का आदमी आकर पूरे मोहल्ले के सामने भास्कर की शर्ट फाड़ देता है। इतना ही नहीं, वो उसका बजाज स्कूटर भी उठाकर अपने साथ ले जा लेता है। पटेल कहता है, “पहले उधार दिया पैसा लौटाओ, फिर आकर अपना स्कूटर ले जाना।”
भास्कर को यह बहुत बुरा लगता है, और वह सोचता है कि उसकी जिंदगी में क्या हो रहा है। पहले एंथनी की लोन की समस्या, और अब पटेल की धमकी।
भास्कर की मुश्किलें बढ़ती जा रही थीं। अगले दिन, उसके पास टैक्सी में जाने तक के पैसे नहीं थे, इसलिए वह पैदल-पैदल दौड़कर अपने ऑफिस पहुंचा। लेकिन वहां पहुंचने पर उसे एक और झटका लगा। जो प्रमोशन उसे मिलने वाला था, वह किसी और एंप्लॉय को मिल गया था। सभी बैंक कर्मचारी भास्कर के लिए दुखी थे, क्योंकि उन्हें भी लगा था कि यह प्रमोशन भास्कर को ही मिलेगा।
भास्कर ने अपने रीजनल मैनेजर से मिलकर अपनी बात कही, “सर, मैं दिन रात मेहनत करता हूं, बैंक का बेस्ट एंप्लॉय ऑफ द ईयर हूं, अपने हर महीने के टारगेट को भी समय पर पूरा करता हूं। लेकिन आपने बंगाली होने के कारण एक बंगाली को ही प्रमोशन दे दिया, यह तो बहुत गलत किया।”
लेकिन रीजनल मैनेजर ने भास्कर को झाड़ दिया, “मैंने उसे उसकी काबिलियत के दम पर प्रमोशन दिया है, ना कि बंगाली होने की वजह से। और वैसे भी, तुम तो कस्टमर की एप्लीकेशन फॉर्म भर-भर कर अपनी जेब भर रहे हो। अगर यह बात जीएम साहब को पता चल गई तो तुम्हें जॉब से निकाल दिया जाएगा। क्या मैं तुम्हारी कंप्लेंट जीएम साहब को कर दूं?”
भास्कर की शक्ल रोने वाली हो गई, और वह हाथ जोड़कर बोला, “नहीं सर, ऐसा मत कीजिए कुछ ही देर बाद, भास्कर नॉर्मल होकर रोज की तरह अपना काम करने लगता है। शाम को भास्कर और सांभा किसी कैफे में चाय पी रहे होते हैं, तब एंथनी फिर भास्कर से पैसे मांगने आता है। वह कहता है, “सर, आज बाकी बचे पैसे देने का आखिरी दिन है, अगर आज मैंने उनको पैसे नहीं दिए तो वह सभी टीवी को नीलाम कर देंगे, मेरा बहुत बड़ा नुकसान हो जाएगा।”
यह सुनते हुए भास्कर अपने बैग से ₹2 लाख निकालकर एंथनी के हाथ में थमा देता है। यह देखकर सांबा भी हैरान हो जाता है और पूछता है, “ये तूने कैसे अरेंज किए?” भास्कर ने लॉकर में रखने के बहाने बैंक का पैसा अपने बैग में डाल दिया था, क्योंकि आज शुक्रवार होने के कारण बैंक अगले दो दिन बंद रहेगा।भास्कर कहता है, “अगर किसी को पता चला तो ज्यादा से ज्यादा क्या होगा? मेरी नौकरी चली जाएगी। एंथनी कहता है, इंडिया में आजकल टीवी की बहुत डिमांड है, लेकिन दूसरे देश से इंपोर्ट होने के कारण टीवी के पीछे काफी सारा टैक्स बढ़ना पड़ता है, जिससे एक टीवी की कीमत तकरीबन ₹40,000 तक पड़ जाती है। हालांकि हम एक छोटी सी ट्रिक का इस्तेमाल करकर काफी सारा टैक्स बचा सकते हैं। इंडिया में स्पेयर पार्ट्स इंपोर्ट करने पर कोई भी टैक्स नहीं लगता, तो हम स्पेयर पार्ट्स के नाम से टीवी इंपोर्ट करेंगे, बाकी हम पोर्ट के ऑफिसर को थोड़ा बहुत खर्चा पानी दे देंगे, ताकि वह हमारे काम में टांग ना अड़ाए।”
देर रात तक भास्कर एंथनी का वेट करता है, लेकिन एंथनी पैसे लेकर वापस नहीं लौटता। अगले दिन, एंथनी और सांबा भास्कर के पास आते हैं। सांबा मायुस चेहरे के साथ कहता है, “सब खत्म हो गया”, लेकिन एंथनी हंसते हुए भास्कर को कहता है, “अरे सर, सारी टीवी बिक गए, ये लीजिए आपके ₹2 लाख और आपका हिस्सा भी।” यह खबर सुनकर भास्कर बहुत खुश होता है और एंथनी को शुक्रिया अदा करता है। एंथनी भी भास्कर को धन्यवाद देता है और कहता है कि उसने उस पर भरोसा करने के लिए धन्यवाद।
इसके बाद, सोमवार को सुबह भास्कर बैंक जाकर उन दो लाख को लॉकर में रख देता है। इस दिन के बाद से, भास्कर, एंथनी, और सांबा तीनों पार्टनर बन गए। भास्कर छिपकर बैंक से पैसे निकालकर एंथनी को देता, एंथनी टीवी इंपोर्ट करता, और उनके बीच का प्रॉफिट तीनों में बांट देते। वे लोग पोर्ट के ऑफिसर्स को आए दिन छोटी-मोटी पार्टीज देते रहते थे ताकि वे लोग भी चुप रहें। धीरे-धीरे, भास्कर का कर्जा भी उतर गया।
लेकिन सुमति भास्कर पर शक करने लगी कि कहीं यह कोई गलत काम तो नहीं कर रहे। तब भास्कर सुमति से बस इतना कहता है, “मैं मेरे दोस्तों के साथ मिलकर बिजनेस कर रहा हूं।” इसके बाद, भास्कर धूमधाम से अपने बेटे का बर्थडे सेलिब्रेट करता है। यह देख उसके सभी रिश्तेदार उससे जल जाते हैं। उसी पार्टी में, एंथनी सांबा और भास्कर से कहता है, “मेरे बेटे की अमेरिका में जॉब लगी है, वो मुझे अपने पास अमेरिका बुला रहा है। अगर मैं वहां चला गया तो मेरा बिजनेस सब बंद हो जाएगा और मुझे उसी की कमाई खानी पड़ेगी। अब तक मैंने जो कुछ भी कमाया, सब बेटे की पढ़ाई-लिखाई में लगा दिया। अब मेरे पास कोई भी सेविंग नहीं बची। इससे पहले मैं अमेरिका जाऊं, क्यों ना हम एक बड़ी डील करें? प्रॉफिट को तीनों में आपस में बांट देंगे। उन्हीं पैसों से मैं अमेरिका में कोई छोटा-मोटा बिजनेस शुरू कर लूंगा।
एंथनी भास्कर और सांबा को बताता है, “इस हफ्ते दुबई से तीन महंगी गाड़ियां आ रही हैं जिनके कोई कागज नहीं हैं। अगर हम यह तीन गाड़ियां डीलर को बेच दें तो हमारी किस्मत पलट जाएगी।” लेकिन इस सौदे के लिए उन्हें ₹10 लाख चाहिए थे, जो उस जमाने में बहुत बड़ी कीमत थी। भास्कर डील के लिए रेडी हो जाता है।
भास्कर जैसे तैसे बैंक से ₹10 लाख निकालकर एंथनी को देता है, और वे लोग पोर्ट पर उन गाड़ियों की डिलीवरी लेने जाते हैं। लेकिन जब वे गाड़ियां लेकर डीलर के पास आते हैं, तो उन्हें पता चलता है कि उस डीलर को पुलिस ने किसी और केस में अंदर कर दिया है। यह सुनकर उन तीनों के होश उड़ जाते हैं।
तभी भास्कर के दिमाग में एक आईडिया आता है। वह उन गाड़ियों पर गवर्नमेंट का नंबर प्लेट लगवा देता है और कुछ भिखारियों को नेता बनाकर उन गाड़ियों में बिठा देता है। वहीं एक बार डांसर को फिल्म एक्ट्रेस बनाकर एक गाड़ी को चेक पोस्ट पार करवाता है। पुलिस उन्हें वीआईपी गाड़ियां समझकर ज्यादा कुछ नहीं पूछती। फिर उन गाड़ियों को वे लोग गोवा में ले जाकर बहुत अच्छी कीमत पर बेच देते हैं।
गोवा से लौटने के बाद, एंथनी अमेरिका के लिए रवाना हो जाता है। अगली सुबह, भास्कर पैसे लेकर बैंक जाता है, जहां वह देखता है कि पुलिस और आरबीआई ऑफिसर पहले से मौजूद हैं। असल में, बैंक के रीजनल मैनेजर और रीजनल असिस्टेंट मैनेजर ने मिलकर एक बहुत बड़ा स्कैम किया था। यह देख भास्कर बहुत घबरा जाता है |
उसी समय, जीएम आकर भास्कर से उसके हाथ में पकड़े सूट केस के बारे में पूछने लगता है, भास्कर कहता है, “सर, छुट्टी थी ना, तो मैं अपने गांव चला गया था, वहीं से सीधा बैंक आ रहा हूं।” फिर सूटकेस खुलने पर अंदर से कपड़े निकलते हैं। तब हमें पता चलता है कि जब सभी लोग बैंक से बाहर गए थे, उस समय भास्कर ने मौका देखकर उन पैसों को अपनी जगह पर रख दिया था।
खैर सब हो जाने के बाद भास्कर सांबा से कहता है कि अब मैं इस काम को छोड़ दूंगा अब भास्कर के पास उस समय ₹ लाख इकट्ठे हो गए थे उसमें से उसने अपने लिए गाड़ी खरीदी बीवी का बिजनेस स्टार्ट करवाया फिर भास्कर का छोटा भाई उसे आकर बताता है कि भैया मुझे लंदन की यूनिवर्सिटी में सीट मिली है अगर मैं इंडिया से इंजीनियरिंग करता हूं तो मेरी सैलरी केवल 5 से 1000 होगी वहीं अगर मैं लंडन या अमेरिका से करूंगा तो मुझे महीने का 50000 मिलेगा तब भास्कर अपने भाई को लंडन पढ़ाई के लिए भेज देता है फिर एक दिन बैंक का चेयरमैन बैंक आता है और भास्कर से कहता है कि रीजनल मैनेजर और रीजनल असिस्टेंट मैनेजर के कारण हमारे बैंक की बहुत बदनामी हुई है इसलिए मैं अब बैंक में कुछ बदलाव कर रहा हूं आज से तुम इस बैंक के असिस्टेंट जनरल मैनेजर हो और तुम्हारी सैलरी होगी ₹17000 यह सुन भास्कर की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहता |
सीबीआई ऑफिसर लक्ष्मण की जांच और भास्कर का रहस्यमयी बैंक स्टेटमेंट
वर्तमान में, सीबीआई ऑफिसर लक्ष्मण भास्कर का बैंक स्टेटमेंट देखकर हैरान हो जाता है, क्योंकि भास्कर के बैंक में ₹1 करोड़ पड़े थे। लक्ष्मण पूछता है, “एक मामूली बैंक एंप्लॉय के खाते में इतनी बड़ी रकम कहां से आई?” इसके बाद, भास्कर कुछ सोचने लगता है और फिल्म फिर से सीन फ्लैशबैक में जाती है।
जिस समय चेयरमैन ने भास्कर को जनरल असिस्टेंट मैनेजर बनाया था, तब चेयरमैन ने भास्कर से कहा था, “हमारे बैंक के कुछ वैल्युएबल कस्टमर्स हैं जो बैंक के लिए बेहद जरूरी हैं। उन्हीं में से एक कस्टमर है हर्षद मेहरा। भास्कर, आज से तुम पर्सनली मिस्टर हर्षद मेहरा का अकाउंट हैंडल करोगे।” भास्कर मान जाता है।
फिर अगले दिन, हर्षद मेहरा का खास आदमी सूरज बैंक आता है और वह कुछ डॉक्यूमेंट को भास्कर को सौंपते हुए कहता है, “यह कटारी बैंक के बीआर पेपर्स है फिर भास्कर सूरज को बीआर देते हुए कहता है, “इस बार को दो हफ्तों में क्लियर कर दो।” तब सूरज कहता है, “सर, इसमें तो थोड़ा टाइम लगेगा” और वो भास्कर को रिश्वत देने की कोशिश करता है, लेकिन भास्कर मना करता है |
एक दिन, भास्कर हर्षद मेहरा के बैंक स्टेटमेंट चेक कर रहा होता है, तब उसके करोड़ों में ट्रांजैक्शन थे और हां स्टेटमेंट में यह भी साफ था कि भास्कर के बैंक ने हर्षद मेहरा को लोन दिया था, मगर हर्षद ने वो पैसे कटारी बैंक को दिए ऐसा कोई भी स्टेटमेंट नहीं मिला था।
भास्कर की चतुराई और हर्षद मेहरा का शेयर मार्केट खेल
भास्कर अपने तरीके से इस बारे में इन्वेस्टिगेशन करना शुरू करता है और जल्द ही उसे पता चलता है कि हर्षद मेहरा बैंक से बीआर लेकर शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करता था भास्कर सूरज से मिलकर एक डील करता है कि हर्षद मेहरा जब भी किसी बैंक से बीआर लेगा, उसे 1 परसेंट कमीशन भास्कर को देना होगा और हर शेयर को खरीदने और बेचने से पहले उसे भास्कर को इफॉर्म करना होगा, ताकि भास्कर भी उन शेयर्स से फायदा उठा पाए। सूरज के पास कोई और चारा नहीं था, तो वह झट से उसकी बात मान जाता है।
हर्षद मेहरा ने डील के मुताबिक बैंक से बीआर लेकर भास्कर को 1 परसेंट कमीशन दिया और सवाल यह था कि इन पैसों को वाइट में कैसे बदला जाए। तब एंथनी का एक पुराना साथी अनवर भास्कर की मदद करता है। अनवर कहता है, “हम अगर इन पैसों को लॉटरी वाले को दे दें, तो वह हमें विनिंग लॉटरी देगा। लॉटरी जीतकर कुछ पैसे टैक्स के कटेंगे और बाकी बचे तुम्हारे बैंक में आ जाएंगे।”
ऐसे करके भास्कर को 25,000 की लॉटरी लगती है, जिसमें से टैक्स कटकर उसके हाथ में 17000 बचते हैं। वह 17000 को शेयर्स में इन्वेस्ट करता है और देखते देखते भास्कर 17000 को 70 लाख में बदल देता है, क्योंकि हर्षद मेहरा उसे शेयर्स की सारी जानकारी दे रहा था।
भास्कर की लॉटरी जीत और शेयर मार्केट की सफलता
अब प्रेजेंट में, भास्कर लक्ष्मण से कहता है, “सर, मैंने एक दिन लॉटरी खरीदी थी, वही जीतकर मैंने शेयर मार्केट में लगाया था और ऐसे करते-करते मुझे प्रॉफिट होने लगा।” लक्ष्मण पूछता है, “तुमने एक दिन में ₹1 लाख कहां खर्च कर दिए?” भास्कर कहता है, “उसमें से मैंने अपनी बहन की शादी करवाई, शादी की शॉपिंग के लिए जब मैं अपनी बीवी और बहन को लेकर एक मॉल गया तो उन लोगों ने मेरा लिया देखकर मेरा बहुत मजाक उड़ाया, तो मैंने मॉल वालों का घमंड उतारने के लिए एक महंगी गाड़ी खरीदी और उसी में आ कर उस पूरे मॉल का सामान खरीद लिया। इसी में मैंने पूरे ₹1 लाख उड़ा दिए।”
अब पास्ट में, जब वापस भास्कर को बीआर का 1 परसेंट मिलता है, तो वह फिर अनवर के पास जाता है। इस बार अनवर उसे एक फेक कंपनी बनाने का आईडिया देता है। तो भास्कर सुमति के नाम से फूड बिजनेस ओपन करता है और इसी से रिलेटेड वो जाली अकाउंट्स बनाता है। यह शो करने के लिए कि फूड बिजनेस के लिए बाहर से प्रोडक्ट इंपोर्ट हो रहे हैं, यानी वो लोग फर्जी तरह से खर्चे दिखा रहे थे।
फिर एक दिन कटारी बैंक का मैनेजर कुछ काम से भास्कर के पास आता है। बातों-बातों में बीआर की भी बात निकलती है, जिस पर भास्कर कहता है, “सर, हर्षद मेहरा के पास से 90 करोड़ का बीआर आना बाकी है, ऊपर से वो तो नए बीआर के बारे में भी पूछ रहा है।” तब मैनेजर हैरान होकर कहता है, “90 करोड़ इतनी बड़ी अमाउंट का बीआर तो मैंने कभी पास ही नहीं किया, ज्यादा से ज्यादा एक या दो करोड़ किए होंगे। यह सिग्नेचर मेरे नहीं है, और हर्षद मेहरा ने मेरे नाम से फर्जी दस्तखत किए हैं। अगर आरबीआई ने इंक्वायरी की, तो मुझे पक्का जेल हो जाएगी।” यह सब सोच सोचकर मैनेजर को वही हार्ट अटैक आ जाता है और उसकी मौत हो जाती है। यह एक बड़ा झटका था भास्कर के लिए, और अब उसे समझ आया कि उसने कितनी बड़ी गलती की थी।
भास्कर की धमकी और सांबा की मुश्किलें
इसके बाद, जब सूरज भास्कर के पास आता है, तो भास्कर उसे धमकाता है, “पहले 90 करोड़ का बीआर चुका दो, तभी तुम्हें नया बीआर पास होगा।” सूरज को यह बात पसंद नहीं आती, लेकिन वह कुछ नहीं कर सकता।
इसी बीच, सांबा स्मगलिंग करते हुए पकड़ा जाता है, तो भास्कर पुलिस को पैसे खिलाकर उसकी बेल करवाता है। फिर भास्कर का साला उससे कोई इमरजेंसी के लिए पैसे मांगता है, और इस दौरान सुमति और उसकी मां के बीच खूब कसनी हो जाती है। उसकी मां कहती है, “फूड बिजनेस का सुझाव मैंने तुझे दिया था, और मेरी वजह से तुमने इतना पैसा कमाया है।” यह सुनकर सुमति गुस्से में अपनी शॉपी तोड़ देती है, और घर में इतना क्लेश होता देख भास्कर के पिताजी इतने सालों बाद अपना मुंह खोलते हैं।
वो भास्कर को अकेले में ले जाकर पूछते हैं, “तुम असल में क्या काम करते हो? मुझे बताओ। क्योंकि इस बिजनेस के बिल्स को देखकर ऐसा नहीं लगता कि यह बिल असली है, और यह बात मत भूलो कि मैं तुम्हारा बाप हूं जो कि सीए रह चुका हूं।” तब भास्कर अपने पिता जी को सब कुछ सच बता देता है, “पिताजी, मैंने बीआर के जरिए पैसे कमाए हैं, और फूड बिजनेस के नाम पर फर्जी अकाउंट्स बनाए हैं। मैं जानता हूं कि यह गलत है, लेकिन मैं अब इससे निकलना चाहता हूं।”
भास्कर के पिताजी को यह बात सुनकर बहुत दुख होता है, लेकिन वो अपने बेटे को समझाने की कोशिश करते हैं, “बेटा, तुमने जो किया है, वह बहुत गलत है। तुम्हें इसके लिए सजा भुगतनी पड़ सकती है। लेकिन मैं तुम्हारे साथ हूं, और हम मिलकर इस समस्या का समाधान निकालेंगे।” यह एक नए अध्याय की शुरुआत थी भास्कर के लिए, जहां उसे अपने किए की सजा भुगतनी थी, लेकिन उसके पिताजी का साथ उसे नई राह पर चलने की प्रेरणा देता है।
भास्कर की नई राह और हर्षद मेहरा का खेल
इसके बाद, जब भास्कर के पिताजी उसे समझाते हैं, तब जाकर भास्कर के दिमाग में पैसों का नशा उतरता है। फिर वह अपने साले और दोस्त सांबा की हेल्प करता है और जिन लोगों को उसने जलील किया था उन सबसे माफी मांगता है। यह एक नए अध्याय की शुरुआत थी भास्कर के लिए, जहां उसे अपने किए की सजा भुगतनी थी, लेकिन उसने अपने जीवन को सुधारने का फैसला किया था।
एक दिन, जीएम भास्कर को बुलाकर पूछता है, “तुम मिस्टर हर्षद मेहरा के बीआर को अप्रूव क्यों नहीं कर रहे?” भास्कर कहता है, “सर, उनकी तरफ से 90 करोड़ आना बाकी है, ऐसे में मैं एक और बीआर अप्रूव कैसे कर दूं?” लेकिन जीएम भास्कर पर दबाब डालने लगता है, जिससे तंग आकर भास्कर बैंक से रिजाइन कर देता है।
फिर रिजाइन करने के अगले दिन ही, सीबीआई ऑफिसर भास्कर के घर आकर उससे पूछताछ के लिए ले जाते हैं। लक्ष्मण कहता है, “तुम्हारे अकाउंट में जो भी पैसे हैं, उनको वाइट में शो करने के लिए तुमने सारे इंतजाम कर रखा है, लेकिन मैं चाहूं तो उन सारे पैसों को एक सेकंड में गायब कर सकता हूं। अगर मैंने इस बारे में इनकम टैक्स को खबर कर दी, तो तुम्हें जेल जाने से कोई नहीं रोक पाएगा। इसलिए बेहतर यही होगा कि तुम वह ₹1 करोड़ हर्षद मेहरा को दे दो।”
यह सुनकर भास्कर को पता चलता है कि बैंक का जीएम और सीबीआई ऑफिसर लक्ष्मण दोनों हर्षद मेहरा के साथ मिले हुए थे। यह भास्कर के 100 करोड़ देते ही हर्षद मेहरा बीआर चुका देगा और जेल जाने से बच जाएगा, क्योंकि उसके ऊपर भी कार्यवाही चल रही थी। हमें पता चलता है कि बैंक का चेयरमैन भी इन सब में शामिल था।
अब भास्कर ना चाहते हुए भी सारे पैसे हर्षद के अकाउंट में ट्रांसफर कर देता है और वापस जहां था वहां आ जाता है। यह एक बड़ा सबक था भास्कर के लिए, जहां उसने सीखा कि पैसों का नशा और गलत तरीके से कमाए गए पैसे कितने खतरनाक हो सकते हैं। लेकिन उसने अपने जीवन को सुधारने का फैसला किया था और अब वह एक नए अध्याय की शुरुआत करने के लिए तैयार था।
भास्कर की चतुराई और हर्षद मेहरा का अंत –
फिर अगले दिन, सभी को एक शॉकिंग बात पता चलती है – भास्कर ने 10 दिन पहले अपने बैंक से सारे पैसे निकाल लिए थे। अब इसकी एंट्री सिर्फ लेजर में मैनली थी, तभी किसी को कुछ पता नहीं चला। और पैसा ट्रांसफर करते समय जीएम हर बड़ी में इस बात को नोटिस नहीं कर पाया था। इस तरफ भास्कर को हम अपने परिवार के साथ फ्लाइट में बैठा देखते हैं।
फ्लैशबैक में, दिखाया जाता है कि जब भास्कर ने अपने पिताजी को ये सारी बातें बताई थी, तभी उसके पिताजी ने कहा था, “आज नहीं तो कल इनकम टैक्स और आरबीआई वाले तुम्हारे पास जरूर आएंगे। एक काम करो, तुम इन पैसों को बैंक से निकाल लो, उससे हम अमेरिका में एक घर खरीद लेते हैं।” भास्कर ने अपने पिताजी की सलाह मानी और पैसे निकाल लिए।
इसके बाद, भास्कर खुद इनकम टैक्स वालों को बैंक के चेयरमैन, जीएम, और सीबीआई ऑफिसर लक्ष्मण के बारे में खबर कर देता है। पुलिस इन सब को अरेस्ट कर लेती है और हर्षद मेहरा को भी इंटेरोगेशन के लिए बुला लिया जाता है। इस तरह, भास्कर ने अपनी चतुराई से इन सभी को फंसा दिया और अमेरिका में ऐश्वर्य की जिंदगी जीने लगता है।
यहीं पर यह मूवी खत्म होती है।