The Sabarmati report movie story explain in hindi

साबरमती रिपोर्ट फिल्मसाबरमती रिपोर्ट: Movie की पुरी story विस्तार मैं|

स्वागत है दोस्तों, आज मैं 2024 में आई मूवी द साबरमती रिपोर्ट  movie कि story को explain वाला हूं। इस फिल्म की कहानी की शुरुआत में हम 2007 का समय देखते हैं, जहां पत्रकार समर पर इल्जाम लगे थे कि उन्होंने बिना परमिशन के 2002 में हुए भीषण हादसे की दोबारा जांच करने की कोशिश की।

समर पर आरोप था कि उन्होंने 5 साल पहले हुए उस हादसे से जुड़े तथ्यों से छेड़छाड़ की और गवाहों को बहकाया। एबीटी न्यूज़ जैसे बड़े चैनल का नाम इस्तेमाल करके उसका दुरुपयोग किया। इसलिए, एबीटी ने उन पर मान हानि का केस किया है। समर कहता है कि यह सब झूठ है, मुझे फंसाया जा रहा है, यह सब सच को छुपाना चाहते हैं।

कहानी यहां से 2002 में जाती है, जहां हम देखते हैं कि 25 फरवरी को साबरमती एक्सप्रेस नाम की ट्रेन निकलती है अयोध्या से अहमदाबाद के लिए, जिससे बहुत सारे कार सेवक सफर करने वाले थे। ट्रेन जब गोधरा स्टेशन पहुंची, तो वहां ट्रेन में आग लग गई ,अब हम देखते हैं हिंदी पत्रकार समर को जो कि फिल्मी दुनिया की खबरें कवर करता है। लेकिन जब वह इस हादसे की जांच करने का फैसला करता है, तो उसे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

समर, एक छोटा-मोटा पत्रकार, अपने प्यार श्लोका के साथ जीवन बिता रहा था। लेकिन जब एक बड़ी खबर आती है, तो उसकी जिंदगी बदलती है। एबीटी चैनल की मेन एंकर रिपोर्टर मनिका अपनी तेजतरार पत्रकारिता से सबको प्रभावित करती है। जब ट्रेन हादसे की खबर आती है, तो मनिका और समर तुरंत मौके पर पहुंचते हैं।

वहां पहुंचकर वे देखते हैं कि हर जगह लाशें पड़ी हैं। लोग घायल दर्द से तड़प रहे हैं। लेकिन एक बात नोटिस करने वाली है – वहां पत्थर पड़े हुए थे।

अपोजिशन पार्टी वालों को खबर लगती है कि यह कोई दुर्घटना नहीं है, बल्कि सोची-समझी साजिश है। वे सोचते हैं कि इस बात को बाहर जाने देने के बजाय, हम यह खबर फैलाएं कि एक दुर्घटना थी और सारा दोष सिटिंग सीएम पर जाएगा। लोग भड़क दंगे होंगे और फिर इनकी सरकार गिर जाएगी इस खबर को फैलाने के लिए, वे ईबीटी न्यूज़ से संपर्क करते हैं।

समर और मनिका ने जब वहां के लोगों से बातचीत की, तो पता चलता है कि ट्रेन में आग लगने से पहले झगड़ा हुआ था। सिर्फ दो डब्बे, S6 और S7, जले; बाकी ट्रेन नहीं जली। मरने वाले ज्यादातर कार सेवक थे।

लेकिन मनिका रिपोर्टिंग करते वक्त सच बताने के बजाय यह कहती है, “ट्रेन में लिमिट से ज्यादा लोग सफर कर रहे थे, वो भी बिना टिकट के। ट्रेन 4 घंटे लेट भी चल रही थी और फिर शायद इलेक्ट्रिक शॉक लगने की वजह से यह आग लगी। यह सब सरकार की लापरवाही की वजह से हुआ है।”

मनिका को फोन आ गया था कि क्या बोलना है क्या नहीं, तो वही कर रही थी। समर समझ नहीं पा रहा था कि जो बोलना था वो बोला नहीं, झूठ क्यों बोला? वह सच का पता लगाने अस्पताल जाता है जहां घायल लोग भर्ती थे और उनकी फुटेज रिकॉर्ड करते हुए पता चलता है कि किसी ने डब्बे के अंदर से चैन खींची थी, ट्रेन को उस जगह पर रोकने के लिए।

समर लोगों की बाते को टेप में रिकॉर्ड करके एबीटी के हेड को देता है, हेड ने समर को आश्वासन दिया, “हम यही चैनल पर चलाएंगे, लेकिन उसकी फुटेजेस नहीं चलाई गईं। मनिका की रिपोर्टिंग ही चलाई गई। समर हेड से झगड़ पड़ता है,

वो लोग समर को निकालने लग जाते हैं। मिश्रा जी, जिनके पास समर की टेप थी, उनसे कहता है, “आप उस टेप को संभाल के रखना और किसी ऐसे इंसान को देना जो सच बाहर लाए एबीटी वाले समर पर कैमरा चोरी करने का इल्जाम लगा कर उसे जेल करा देते हैं। श्लोका उसकी जमानत करा देती है, लेकिन उससे अपना रिश्ता तोड़ लेती है समर दुखी रहने लगता है और इस दुख को मिटाने के लिए वह नशा अपनाता है। नशा कर कर के वह बस पड़ा रहता है।

एबीटी चैनल झूठी खबरें बनाता गया 5 साल बाद, वो देश का टॉप न्यूज़ चैनल बन चुका था और मनिका सेलिब्रिटी न्यूज़ एंकर बन गई थी।

एक दिन, मनिका का हेड आकर कहता है, “न्यूज़ में गुजरात इलेक्शन के बारे में कोई भी बात मत करना।” गुजरात की सरकार एबीटी से हाथ मिलाना चाहती थी,

एबीटी वालों सोचते हैं कि दूसरी रिपोर्ट बनाएंगे जिसमें सीएम के बजाय स्टेट गवर्नमेंट पर सब कुछ डाल देंगे। मनिका रिस्क नहीं ले सकती थी, इसलिए वो अमृता नाम की एक इंटर्न को चुनती है और कहती है, “साबरमती इंसिडेंट पर पूरी रिसर्च करके लाओ।”

अमृता मनिका को अपना आइडल मानती थी। वो तुरंत हां कर देती है, अमृता ने दिन रात एक कर दिया रिसर्च करने में। साबरमती ट्रेन हादसे से जुड़ी हर जानकारी उसने इकट्ठा की। मिश्रा जी से और मटेरियल मांगने पर, उन्होंने समर की बनाई फुटेज दे दी। अमृता फुटेज देखकर हैरान हो गई। अब तक जो उसने पढ़ा जाना था, वह एक दुर्घटना थी, लेकिन फुटेजेस देखकर पता चला कि वह सोची समझी साजिश थी।

मिश्रा जी ने बताया, “यह टेप समर की है, जो कभी सच्चा पत्रकार हुआ करता था।” अमृता को असली सच जानने की चुल मची। वह समर से मिलकर कहती है, “तुम मेरे साथ गोदरा चलो, देखना चाहती हूं कि तुम्हारी कई बातें सही हैं या जो रिपोर्ट में लिखा है वो सही है।”

समर ने कहा, “मुझे 40,000 दोगी तो मैं चलूंगा।” अमृता मान गई। दोनों गोदरा पहुंचे और उन बोगियों के पास गए जिनमें आग लगी थी। दोनों लोग स्टेशन पर पूछताछ करते हैं। पता चलता है कि ट्रेन 4 घंटे लेट थी, सुबह 8:30 बजे आई, चैन पुलिंग हुई, झगड़ा शुरू हुआ, फिर ट्रेन चली और फिर से चैन पुलिंग हुई। इसके बाद ट्रेन में आग लग गई।

एक औरत बताती है, “एक यात्री ने सादिया नाम की लड़की को अगवा करने की कोशिश की। सद्दाम ने लोगों को ले आया और कहा, ‘हमारे समाज की लड़की छेड़ दी’। झगड़ा हुआ और आग लग गई।”

समर को एक कुली से पता चलता है, “साजिद नाम का कुली यात्रियों से झगड़ा हो गया था। सद्दाम अपने लोगों को ले आया और फिर झगड़ा हो गया दोनों को अब यह पता करना था कि असली वजह कौन सी है। वो लोग सादिया से मिलने एनजीओ वर्कर बनकर जाते हैं। लेकिन जैसे ही सद्दाम का नाम लेते हैं, उन्हें पता चल जाता है कि वह कुछ और जानने आए हैं। वहां के लोग उन्हें मारने पर उतार हो जाते हैं। दोनों बड़ी मुश्किल से अपनी जान बचा के भागते हैं।

दोनों को समझ आ जाता है कि सादिया की कहानी झूठी है। वो मरूशा नाम की वकील से मिलने जाते हैं, जो सोशल वर्कर है और गोदरा कांड के पीड़ितों के केस लड़ रही है। जिस से उन्हे अरुन नाम के गवाह के बारे मैं पता चालता है जो पोलीस के निगराणी मैं है अब ये दोनो अरुण से मिलने जेल जाते है |

क्या अमृता और समर सच्चाई को उजागर कर पाएंगे? यह जानने के लिए इस कहाणी को अंत तक देखें।

 

अरुण ने बताया, “साजिद और यात्रियों के बीच झगड़ा हुआ था। मैंने देखा सद्दाम के पास पेट्रोल के डब्बे रखे हुए थे। यह कोई दुर्घटना नहीं थी, यह सोची समझी साजिश थी।”

दोनों लोग होटल वापस जा रहे थे कि तभी अमृता को अगवा कर लिया गया। समर उसे छुड़ाने की कोशिश करता है और एक आदमी का चेहरा देख लेता है। अखबार में उस आदमी की फोटो दिखने पर, मरूशा बताती है, “यह हबीब कादरी का आदमी है।”

मेरूशा दोनों को हबीब के पास ले जाती है। दोनों कहते हैं, “अब तुम्हारा पर्दाफाश हो चुका है। तुम मसीहा बने फिरते हो, लेकिन असल में तुम अपने लोगों का इस्तेमाल करते हो। वर्तमान में, समर अदालत में अपनी बात रखता है, “मेरा मकसद है कि पूरे देश को उन सबके नाम पता होने चाहिए जो इस ट्रेन हादसे में मारे गए।

जज ने कहा, “आपकी बातें विचारणीय हैं। हमें सच्चाई को उजागर करना होगा।”अमृता न्यूज़ के जरिए गोदरा ट्रेन हादसे का सच बता रही होती है, लेकिन मनिका आ जाती है उसे रोकने। अमृता अपनी नौकरी से इस्तीफा दे देती है 2017 में, समर ने अपना खुद का चैनल खोल लिया है और उसी के जरिए लोगों तक गोदरा का सच पहुंचा रहा है। वह बता रहा है, “गोदरा ट्रेन हादसा पहले से प्लान था, भीड़ जुटाने के लिए दो कहानियां बनाई गईं।”

समर आगे बताता है, “नानावती न्यायिक आयोग के अनुसार, कोच में आग लगना कोई दुर्घटना नहीं थी, बल्कि आग लगाई गई थी। सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में जांच के बाद, 2011 में ट्रायल कोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि गोदरा में साबरमती ट्रेन को जलाना एक पूर्व नियोजित साजिश थी।” मूवी के अंत में, यह दिखाया जाता है कि 11 दोषियों को मौत की सजा दी गई और गुजरात उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले की पुष्टि की ।

यही पर यह फिल्म कि कहाणी समाप्त होती है |

 

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