तुंबाड मराठी चित्रपट कथा 2024: explaine in hindi
दोस्तों, भारत में हॉरर फिल्मों की दुनिया में एक अनोखी फिल्म है – तुंबाड। यह फिल्म 2018 में रिलीज़ हुई थी, लेकिन उस समय यह उतनी चर्चा में नहीं थी। लेकिन ओटीटी प्लेटफॉर्म पर इसकी सफलता के बाद, इसे फिर से थिएटरों में रिलीज़ किया गया और अब यह पहले से भी ज्यादा कमाई कर रही है!
तुम्बाड रिलीज डेट 2024 –
हॉरर फ़िल्म ‘तुम्बाड’ 13 सितंबर, 2024 को सिनेमाघरों में दोबारा रिलीज़ हुई थी:
तुंबाड बॉक्स ऑफिस कलेक्शन 2024
13 सितंबर, 2024 को फिर से रिलीज़ होने के बाद से तुम्बाड ने 31.65 करोड़ का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन किया है।
तो दोस्तों तुंबाड फिल्म का कुल कलेक्शन (ओरिजनल + रिरिलीज):
– टोटल इंडिया नेट कलेक्शन: 45 करोड़ 58 लाख हुआ hai
और इस फिल्म का बजेट 15 करोड है इस हीसाब से यह फिल्म सुपर हिट साबित हुई है |

तुंबाड मराठी चित्रपट की कहाणी पुरी विस्तार मैं –
तुंबाड फिक्शनल हिस्ट्री और माइथोलॉजी को मिलाकर बनाई गई एक अनोखी हॉरर मूवी है। इसमें एक यूनिक स्टोरी के साथ-साथ अद्भुत विजुअल्स भी हैं। इसकी स्टोरी थोड़ी जटिल है, लेकिन यह आपको आकर्षित करेगी।
आइए, तुंबाड की दुनिया में झांकते हैं और देखते हैं कि यह फिल्म क्यों इतनी खास है!
तुंबाड की कहानी ब्रह्मांड के इतिहास से शुरू होती है, जहां हमें पूर्ति की देवी, सोने और अनाज की प्रतीक, के बारे में बताया जाता है। वह हमारी धरती की माता है, जिसने करोड़ों देवी-देवताओं को जन्म दिया। लेकिन उसका सबसे प्यारा बच्चा, हस्तर, लालची निकला।
हस्तर ने देवी का सारा सोना हड़प लिया, लेकिन अनाज के लिए बढ़ते हुए दूसरे देवताओं ने उस पर हमला किया। देवी ने उसे बचाया और अपनी कोख में छुपा लिया, लेकिन एक शर्त पर: उसे कभी पूजा नहीं जाएगी, उसका नाम भुला दिया जाएगा, और अनाज नहीं मिलेगा।
कई युग बीत गए, हस्तर सो रहा था, लेकिन तुंबाड गांव के लोगों ने सोना पाने की लालच में हस्तर का मंदिर बना दिया। इससे हस्तर जाग गया, लेकिन देवी-देवता नाराज हो गए और तुंबाड को श्राप दिया कि वहां लगातार बारिश होती रहेगी |
तुंबाड में राव परिवार ने हस्तर और उसके खजाने का पता लगा लिया, जो जमीन के नीचे एक कुएं में था। लेकिन हस्तर से सोना हासिल करने के लिए उसे खाने का लालच देना पड़ता था। हस्तर सूखे अनाज को हाथ नहीं लगा सकता था, लेकिन आटे की गुड़िया बनाकर उसे खिलाने से वह उसे खा सकता था।
राव परिवार के लोग आटे की गुड़िया बनाने लगे और हस्तर के पास जाने लगे। लेकिन हस्तर को यह पसंद नहीं था कि कोई उसका सोना चुराए, इसलिए वह इंसानों पर हमला कर देता था। अगर वह किसी को छू ले या काट ले, तो उससे वह इंसान शापित हो जाता था।
राव परिवार के लोग जमीन के नीचे जाने के बाद सूखे आटे का घेरा बना लेते थे, जिसमें हस्तर घुस नहीं सक सकता था। लेकिन एक दिन, परिवार की एक औरत को हस्तर काट लेता है, और वह एक भयानक राक्षस जैसी बन जाती है। उसे अमर होने का श्राप मिल जाता है।
अब वह समझ गई थी कि लालच बुरी बला है और यह काम बहुत खतरनाक है। इसलिए वह अपने परिवार के लोगों को हस्तर के पास जाने से मना कर देती है।
सालों बीत गए, राव परिवार के पुराने लोग खत्म होते गए, और नए लोग आ गए। लेकिन दादी, वह भयानक औरत, अभी तक जिंदा थी। वह अपने घर वालों से कहती थी कि उसे जलाकर मार दें ताकि उसे मुक्ति मिल जाए। लेकिन परिवार वाले उसे कमरे में बंद कर देते हैं और खिला-पिला के पालते रहते हैं।
दादी को ही खजाने का राज मालूम था, इसलिए वह किसी को भी हस्तर के पास जाने का रास्ता नहीं बताती। राव परिवार के सब लोग बिखर जाते हैं, और अब उस घर में सिर्फ एक ही इंसान बचता है, सरकार।
सरकार जिंदगी भर अपनी दादी से उस खजाने के बारे में पूछता है, लेकिन वह मुंह नहीं खोलती। सरकार बूढ़ा हो जाता है, और उसे वह सोना मिल नहीं पाता। वह शादी नहीं करता, बल्कि एक विधवा औरत को अपनी रखैल और नौकरानी बना लेता है।
उस औरत के सरकार से दो बच्चे होते हैं, विनायक और सदाशिव। 1918 में, सरकार बुढ़ापे से मर जाता है, और उसके कुछ ही वक्त बाद सदाशिव एक पेड़ से नीचे गिर के जख्मी हो जाता है। विनायक अपने बाप की तरह लालची था, और दादी से खजाने के बारे में पूछता है।
लेकिन तभी दादी अपनी कैद से आजाद हो जाती है, और विनायक को मार के उसे खाने की कोशिश करती है। विनायक उसे “सो जा, वरना हस्तर आ जाएगा” कहकर बेहोश कर देता है।
विनायक की मां सदाशिव की मौत के बाद, विनायक को लेकर कुंभार छोड़ने और शहर जाने का फैसला करती है। लेकिन विनायक सरकार की हवेली और खजाने के लालच में पड़ जाता है। 15 साल बीत जाते हैं, लेकिन विनायक की गरीबी और लालच नहीं जाती।
मां की मौत के बाद, विनायक तुंबाड वापस आता है और हवेली में जाता है, जहां दादी काफी बुरे हाल में जिंदा थी। विनायक दादी से खजाने का राज जानना चाहता है, लेकिन दादी मना कर देती है। लेकिन विनायक उसके शरीर को जला के मुक्ति दिलाने का वादा करता है, और दादी सोने का ठिकाना बता देती है।
विनायक हवेली में रहकर कुएं में जाने का रास्ता ढूंढता है, और फिर दादी को जलाकर खत्म कर देता है। इसके बाद, विनायक पूरी तैयारी के साथ कुएं में जाता है, और हस्तर को आटे का पुतला देता है। हस्तर को सोने के सिक्के चुराकर विनायक बाहर निकल जाता है।
विनायक राघव को सोना बेच देता है, और उसके पास काफी पैसा आ जाता है। वह ऐशो आराम से जीने लगता है, लेकिन राघव को शक होता है और लालच आता है। राघव यह जानना चाहता है कि विनायक इतना सोना कहां से लाता है।
राघव को पता चलता है कि विनायक तुंबाड से सोना लाता है, और वह विनायक का ध्यान भटकाने के लिए उसके घर में एक खूबसूरत लड़की को काम पर रख देता है। लेकिन वह लड़की विनायक को राघव का प्लान बता देती है, और विनायक तुंबाड पहुंच जाता है।
विनायक राघव को सबक सिखाने के लिए कुएं में घुसता है और सोना लेकर निकलता है। राघव दूर से देखता है और कुएं में जाने का सोचता है, लेकिन यह विनायक की चाल थी। राघव कुएं में घुसता है, लेकिन वहां एक आटे का पुतला मिलता है, जिसे देखकर हस्तर हमला कर देता है।
विनायक राघव को सुलाने का मंत्र बोलकर उसके शरीर को जला देता है। इसके बाद, विनायक कई बार तुंबाड जाकर सोना लाता है और अपना पूरा पैसा अयाशी में उड़ा देता है।
14 साल बीत जाते हैं, और विनायक तीन बच्चों का बाप बन जाता है। वह अपने बेटे पांडुरंग को उस काम के लिए तैयार करता है, और उसे आटे का पुतला बनाना सिखाता है। वो दोनों कुएं में उतरते हैं, लेकिन आज सिर्फ ट्रायल के लिए। पांडुरंग गलती से आटे का पुतला ला लेता है, जिसे देखकर हस्तर हमला कर देता है।
वो दोनों किसी तरह बचते हैं, और पांडुरंग थोड़ा सोना भी चुरा लेता है। लेकिन विनायक उस पर बहुत गुस्सा होता है, क्योंकि उसकी इस गलती की वजह से उनकी जान जा सकती थी।
1947 में, भारत आजाद हो जाता है, और तुंबाड की हवेली सरकार के नाम होने वाली थी। विनायक और पांडुरंग बहुत सारा सोना लेकर पुणे लौटते हैं और अयाशी करते हैं।
पांडुरंग एक बार में ही सारा सोना चुराने का सोचता है, और विनायक को एक प्लान बताता है। वो बहुत सारे आटे के पुतले बनाकर कुएं में उतरते हैं, लेकिन हस्तर अपनी कई कॉपी बना लेता है और उन्हें खाने लगता है।
विनायक अपने बेटे को बचाने के लिए अपने शरीर पर पुतले बांध लेता है और कुएं से बाहर निकलता है। हस्तर उसके पीछे आते हैं, लेकिन विनायक ने बाहर भी एक लक्ष्मण रेखा बनाई थी, जिससे वो खत्म हो जाते हैं।
विनायक को श्राप लग जाता है, और उसका हाल दादी जैसा हो जाता है। पांडुरंग उसे सुला देता है और मुक्ति देने के लिए जला देता है। इसके बाद, पांडुरंग हवेली से निकल जाता है, लेकिन अब हमें बताया गया है कि इस फिल्म का सेकंड पार्ट भी आएगा।
क्या पांडुरंग अपने पिता की गलतियों से सीखेगा? या फिर से लालच का शिकार होगा? दूसरा पार्ट देखने के लिए तैयार रहिए!