जीरो से रीस्टार्ट मूवी रिव्यू 2024

बीटीएस की दुनिया में पहली बार थिएटर में रिलीज़ हुई डॉक्यूमेंट्री, “जीरो से रीस्टार्ट”, अपने आप में एक खास अनुभव है। यह एक बिहाइंड-द-सीन डॉक्यूमेंट्री है, जो 2023 में रिलीज़ हुई फिल्म “12th फेल” की जर्नी पर आधारित है। अगर आप फिल्म मेकिंग में दिलचस्पी रखते हैं, तो यह डॉक्यूमेंट्री आपके लिए किसी इंस्टीट्यूट की किताब से कम नहीं।

रिलीज डेट – 13 दिसंबर 2024

जीरो से रीस्टार्ट मूवी रिव्यू

जीरो से रीस्टार्ट मूवी का थिएटर में अनुभव

डॉक्यूमेंट्री की हाइप ज़्यादा नहीं होने के कारण थिएटर में दर्शकों की संख्या काफी कम थी। लगभग 10-15 लोग ही इसे देखने आए। हालांकि, जो लोग फिल्म मेकिंग या 12th फेल फिल्म के फैन हैं, उनके लिए यह एक शानदार अनुभव रहा।

डॉक्यूमेंट्री की खास बातें

यह डॉक्यूमेंट्री करीब 88 मिनट्स की है और पूरी तरह से फिल्म मेकिंग की बारीकियों पर फोकस करती है।

  • डायरेक्शन का सफर: फिल्म के निर्देशक विधु विनोद चोपड़ा ने किस तरह फिल्म की बागडोर संभाली और  इसे विस्तार से दिखाया गया है।
  • फिल्म के सीन का निर्माण: 12th फेल का पहला सीन, जो वन-टेक शॉट के रूप में दिखता है, असल में 24 शॉट्स का रिजल्ट था। इसे कैसे फिल्माया गया, यह जानना एक प्रेरणादायक अनुभव है।
  • प्री-प्रोडक्शन की मेहनत: डॉक्यूमेंट्री में बताया गया है कि प्री-प्रोडक्शन में सबसे ज़्यादा समय और मेहनत लगती है।

कहानी लिखने से लेकर स्क्रिप्ट तैयार करना।

किरदारों और एक्टर्स का चयन।लोकेशन, डायलॉग्स, प्रॉप्स और यहां तक कि कपड़ों तक का डिसीजन। इन सभी स्टेप्स में लगभग 1-2 साल लग जाते हैं।

रियल लोकेशन्स का उपयोग

डॉक्यूमेंट्री यह भी सिखाती है कि रियल लोकेशन्स का उपयोग कैसे किया जाता है।

रेलवे कैंटीन और आटा चक्की जैसे रियल लोकेशन्स को सेट की तरह इस्तेमाल करना, इसे और भी रियलिस्टिक बनाता है।

फिल्म चाहे 1 करोड़ की हो या 1000 करोड़ की, मेहनत हर स्तर पर एक जैसी होती है।

 

किसके लिए है यह डॉक्यूमेंट्री?

जीरो से रीस्टार्ट हर किसी के लिए नहीं है। यह मास ऑडियंस के लिए एंटरटेनमेंट की तरह नहीं बनाई गई है।

फिल्म मेकिंग सीखने वालों के लिए यह डॉक्यूमेंट्री एक गाइडबुक है।

यह दिखाती है कि फिल्म इंडस्ट्री में काम करते समय क्या करना चाहिए और क्या नहीं।

 

थिएटर रिलीज़ बनाम OTT

हालांकि, इस डॉक्यूमेंट्री को थिएटर में रिलीज़ करने के बजाय OTT प्लेटफॉर्म या यूट्यूब पर रिलीज़ करना एक बेहतर विकल्प हो सकता था। इसकी टारगेट ऑडियंस बहुत स्पेसिफिक है, और थिएटर में इसे देखने का आकर्षण कम नजर आता है।

मेरी राय

अगर आपने 12th फेल देखी है और फिल्म मेकिंग में रुचि रखते हैं, तो यह डॉक्यूमेंट्री जरूर देखिए। इसे स्टार रेटिंग देना उचित नहीं होगा, क्योंकि यह एक डॉक्यूमेंट्री है, लेकिन मैं इसे देखने की सिफारिश जरूर करूंगा।

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